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बनारसी लंगड़ा आम और पान को मिला जीआई टैग

by admin on | 2023-06-25 06:08:07

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बनारसी लंगड़ा आम और पान को मिला जीआई टैग

काशी ने एक बार फिर जीआई के क्षेत्र में अपना परचम लहराया है और यहां के चार नए उत्पाद जीआई की झोली में आएजिससे काशी क्षेत्र में अब कुल 22 और उत्तर प्रदेश में 45 जीआई उत्पाद दर्ज हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इन प्रयासों का अब असर दिखने लगा है।

 

जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने बताया कि नाबार्ड उप्र एवं योगी सरकार के सहयोग से प्रदेश के 11 उत्पादों को इस वर्ष जीआई टैग प्राप्त हुआ हैजिसमें 7 उत्पाद ओडीओपी में भी शामिल हैं और 4 कृषि एवं उद्यान से संबंधित उत्पाद काशी क्षेत्र से हैं। इसमें बनारसी लंगड़ा आम (जीआई पंजीकरण संख्या - 716), रामनगर भंटा 717, बनारसी पान (730) तथा आदमचीनी चावल 715 शामिल हैं। इसके बाद अब बनारसी लंगड़ा जीआई टैग के साथ दुनिया के बाजार में दस्तक देगा।

 

उन्होंने बताया कि बनारस एवं पूर्वांचल के सभी जीआई उत्पादों में कुल 20 लाख लोग शामिल हैं और लगभग 25,500 करोड़ का सालाना कारोबार होता है। डॉ रजनीकान्त ने कहा नाबार्ड राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक उप्र के सहयोग से कोविड के कठिन समय में उप्र के 20 उत्पादों का जीआई आवेदन किया गया थाजिसमें लम्बी कानूनी प्रक्रिया के उपरांत 11 जीआई टैग प्राप्त हो गए। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले माह के अन्त तक शेष 9 उत्पाद भी देश की बौद्धिक सम्पदा में शुमार हो जाएंगेजिसमें बनारस का लाल पेड़ातिरंगी बर्फीबनारसी ठंडई और बनारस लाल भरवा मिर्च के साथ चिरईगाँव का करौंदा भी शामिल रहेगा।

 

पूर्व में बनारस एवं पूर्वांचल से 18 जीआई रहे हैंजिसमें बनारस ब्रोकेड एवं साड़ीहस्तनिर्मित भदोही कालीनमिर्जापुर हस्तनिर्मित दरीबनारस मेटल रिपोजी क्राफ्टवाराणसी गुलाबी मीनाकारीवाराणसी वूडेन लेकरवेयर एण्ड ट्वायजनिजामाबाद ब्लैक पाटरीबनारस ग्लास बीड्सवाराणसी साफ्टस्टोन जाली वर्कगाजीपुर वाल हैगिगचुनार बलुआ पत्थरचुनार ग्लेज पाटरीगोरखपुर टेराकोटा क्राफ्टबनारस जरदोजीबनारस हैण्ड ब्लाक प्रिन्टबनारस वूड काविंगमिर्जापुर पीतल बर्तनमउ साड़ी भी शुमार है।

 

नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह ने संबंधित सभी किसानों एवं उत्पादकोंएफपीओ के साथ ही जुड़े हुए स्वयं सहायता समूहों को बधाई दिया और कहा कि आने वाले समय में नाबार्ड इन जीआई उत्पादों को और आगे ले जाने हेतु विभिन्न योजनाएं शुरू करने जा रहा है जिसका बड़ा लाभ मिलेगा एवं वित्तीय संस्थाएं भी उत्पादन एवं मार्केटिंग हेतु सहयोग प्रदान करेंगी।

 

ज्ञात हो कि बनारस लंगड़ा आम के लिए "जया सिड्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड"रामनगर भंटा के लिए "काशी विश्वनाथ फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनीआदमचीनी चावल के लिए "ईशानी एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड" चन्दौलीतथा बनारस पान पत्ता के लिए " नमामि गंगे फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड" एवं उद्यान विभाग वाराणसी ने ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन एवं नाबार्डतथा राज्य सरकार के सहयोग से आवेदन किया था,  जिससे यह सफलता प्राप्त हुई और आने वाले 4 माह के अन्दर इन सभी 4 उत्पादों में 1000 से अधिक किसानों का जीआई अथराइज्ड यूजर का पंजीकरण कराया जाएगाजिससे वह जीआई टैग का प्रयोग कानूनी रूप से कर सकें और बाजार में नकली उत्पादों को रोका जा सके।

 

बता दें कि उप्र के 7 ओडीओपी उत्पाद जिसमें अलीगढ़ तालाहाथरस हिंगमुज्जफरनगर गुड़नगीना वुड कार्टिंगबखीरा ब्रासवेयरबाँदा शजर पत्थर क्राफ्टप्रतापगढ़ ऑवला को भी 31 मार्च को जीआई का टैग प्राप्त हो गया है।


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