by admin on | 2023-08-28 08:17:58
Share: Facebook | Twitter | Whatsapp | Linkedin Visits: 146
लखनऊ। 'अपना पांव हाथी जैसा होने से बचाने और हाइड्रोसील से बचने के लिए बस एक ही उपाय है - दवा लीजिए। मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया लाइलाज और गंभीर बीमारी है। किसी को हो जाए तो जीवन भर ठीक नहीं होती है। इसलिए जो लोग रह गए हैं वो 28 अगस्त तक दवा जरूर खा लें। आशा आपके घर पहुंचे और उस वक्त आपकी मुलाक़ात न हो तो बाद में उनसे सम्पर्क कर दवा जरूर खाएं। यह आपके और आपके परिवार के लिए बेहद जरूरी है।' यह अपील योगी सरकार की ओर से प्रदेशवासियों से लगातार की जा रही है, ताकि कोई भी अपंगता का शिकार न हो। योगी सरकार की ओर से की जा रही यह अपील इस बात का उदाहरण है कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य को लेकर सीएम योगी कितने गंभीर हैं। उनकी यह गंभीरता उनके प्रयासों में भी झलकती है। सरकार की ओर से फाइलेरिया के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत आशा दवा के साथ हर घर तक पहुंच रही है। इसके अलावा पीएचसी, सीएचसी, जन आरोग्य मेलों में भी फाइलेरिया की दवा उपलब्ध कराई जा रही है।
बीमारी का पता चलने में लग सकते हैं 15 साल
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चल रहा है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिला रहीं हैं। यह दवा पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है। दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को यह दवा जरूर खानी है। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान प्रदेश के 27 जिलों में चलाया जा रहा है, जहां इस तरह के मामले ज्यादा पाए गए हैं। बीमारी का पता चलने में पांच से 15 साल लग सकते हैं, इसलिए कोई भी जोखिम न लें और न ही कोई बहाना करें क्योंकि आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए दवाओं का सेवन कर समाज को फाइलेरिया मुक्त बनाएं। दवा खाने के बाद जी मिचलाना, चक्कर आना या उल्टी लगे तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने के कारण हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं जिससे इस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है जो कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
बीमारी से प्रभावित व्यक्ति की कार्यक्षमता हो जाती है कम
विशेषज्ञों की मानें तो फाइलेरिया से संक्रमित होने के बाद रोगी का पूरा जीवन दर्द और कठिनाई से बीतता है। इससे जुड़ी दिव्यांगता के कारण लोगों को अक्सर सामाजिक उपेक्षा का भी सामना करना पड़ता है। बीमारी से प्रभावित व्यक्ति की कार्यक्षमता भी कम हो जाती है, जिससे व्यक्ति की आजीविका और आर्थिक उन्नति दोनों प्रभावित होती है। इसलिए फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना खुद के साथ घर-परिवार और समाज की भलाई में है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार यदि दवा का सेवन कर लेते हैं तो इस बीमारी से सुरक्षित बन सकते हैं।